गौतमबुद्धनगर के एसएसपी पर सीएम योगी ने की बड़ी कार्रवाई, निलंबित; पांचों आइपीएस अफसर भी हटे

लखनऊ,। गौतमबुद्धनगर के एसएसपी वैभव कृष्ण के वायरल वीडियो सही पाए जाने के बाद आखिरकार गुरुवार को सरकार की त्योरियां चढ़ गईं। एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार की रिपोर्ट आते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अफसरशाही के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के तहत नजीर कार्रवाई की गई है। वैभव कृष्ण को निलंबित कर दिया गया है। वैभव कृष्ण ने अपने गोपनीय पत्र में जिन पांच आइपीएस अधिकारियों एसपी रामपुर डॉ.अजय पाल शर्मा, एसएसपी गाजियाबाद सुधीर कुमार सिंह, एसपी सुलतानपुर हिमांशु कुमार, एसपी बांदा गणेश प्रसाद साहा व एसएसपी एसटीएफ लखनऊ राजीव नारायण मिश्रा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे, उन्हें भी पदों से हटा दिया गया हैकुल 14 आइपीएस अधिकारियों की तबादला सूची जारी हुई है, जिसमें लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी समेत 11 जिलों की कमान बदली है। शासन ने डीजी इंटेलीजेंस हितेश चंद्र अवस्थी की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय तीन सदस्यीय एसआइटी (विशेष जांच दल) गठित की है, जो वैभव कृष्ण के गोपनीय पत्र में लगाए गए भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों की सिलसिलेवार जांच करेगी और 15 दिनों में जांच रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। एसआइटी में आइजी एसटीएफ अमिताभ यश व उप्र जल निगम के प्रबंध निदेशक विकास गोठलवाल को बतौर सदस्य शामिल किया गया है।एसआइटी की जांच के दायरे में पांचों आइपीएस अधिकारियों के अलावा मुख्य सचिव के मीडिया कार्यालय के निदेशक दिवाकर खरे, पीसीएस अधिकारी गुलशन कुमार व पीसीएस अधिकारी रजनीश की भूमिका भी होगी। समिति जांच के लिए जरूरत के अनुरूप अन्य अधिकारियों का चयन भी करेगी। पुलिस विभाग में अनुशासनहीनता व भ्रष्टाचार के खिलाफ यह सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि वैभव कृष्ण के दिनांक रहित गोपनीय पत्र पर 26 नवंबर 2019 को शासन ने डीजीपी ओपी सिंह से तथ्यात्मक जांच आख्या मांगी थी, जो आठ जनवरी को शासन को दी गई। इसके साथ ही वायरल वीडियो की जांच रिपोर्ट भी आ गई।निलंबित किए गए आइपीएस अधिकारी वैभव कृष्ण ने उनके वायरल वीडियो के फर्जी होने का दावा कर नोएडा में एफआइआर दर्ज कराई थी। एक जनवरी को वैभव कृष्ण ने प्रेसवार्ता में वायरल वीडियो को फर्जी बताते हुए गहरी साजिश की बात कही थी। शासन को लिखे अपने गोपनीय पत्र भी लीक कर दिए थे। वायरल वीडियो से छेड़छाड़ के दावे पर उसे जांच के लिए गुजरात स्थित फोरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) भेजा गया था। एफएसएल रिपोर्ट में साफ हो गया कि वायरल वीडियो व चैट सही है। वीडियो में एडिटिंग अथवा अन्य कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। महिला से चैट के वायरल वीडियो में वैभव कृष्ण आपत्तिजनक स्थिति में भी नजर आए हैं। इसके अलावा डीजीपी के निर्देश पर आइजी मेरठ रेंज ने वैभव कृष्ण से गोपनीय पत्र लीक मामले में स्पष्टीकरण तलब किया था। शासन ने अधिकारी आचरण नियमावली के उल्लंघन में वैभव कृष्ण को निलंबित करने का निर्णय लिया। एडीजी लखनऊ जोन एसएन साबत को वैभव कृष्ण के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं।वैभव कृष्ण के गोपनीय पत्र पर एडीजी कार्मिक ने पांच दिसंबर 2019 को एडीजी मेरठ जोन को पत्र लिखकर प्रकरण की बिंदुवार जांच कराने व 15 दिनों में तथ्यात्मक आख्या देने को कहा था। सात दिसंबर 2019 को एडीजी मेरठ जोन ने आइजी मेरठ जोन को जांच सौंपी थी। इस जांच के बीच पता चला कि पुलिस के साथ-साथ कुछ प्रशासनिक अधिकारी व निजी व्यक्ति भी सम्मिलित हैं। प्रकरण में लगाए गए आरोप भ्रष्टाचार व दुराचरण से जुड़े हैं, जिनमें कुछ इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों का तकनीकी परीक्षण भी कराए जाने की जरूरत है। इस पर डीजीपी ने अपनी रिपोर्ट में प्रकरण की जांच के लिए उच्चस्तरीय जांच की सिफारिश की थी। शासन से एक सचिव स्तर के अधिकारी को नामित किए जाने का अनुरोध भी किया था।वायरल वीडियो में कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। फोरेंसिक साक्ष्यों व जांच रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी गौतमबुद्धनगर वैभव कृष्ण को निलंबित करने का निर्णय लिया गया है। गोपनीय पत्र में जिन पांच आइपीएस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, उन्हें भी हटाया गया है ताकि जांच प्रभावित न हो। उच्चस्तरीय एसआइटी की जांच रिपोर्ट मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। -ओपी सिंह, डीजीपी