Judge wife and son murder Case LIVE इससे पहले बृहस्पतिवार को आरोपित महिपाल को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधीर परमार की अदालत दोषी करार दे दिया था।गुरुग्राम [आदित्य राज]। न्यायाधीश कृष्णकांत की पत्नी व बेटे की हत्या के दोषी महिपाल को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधीर परमार की अदालत ने शुक्रवार शाम लगभग साढ़े चार बजे फांसी की सजा सुना दी। साथ ही साक्ष्य मिटाने का प्रयास करने के मामले में पांच साल की कैद व 10 हजार रुपये का जुर्माना एवं आम्र्स एक्ट के तहत तीन साल की कैद व पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। नियमानुसार फांसी की सजा कंफर्म कराने के लिए फैसले की कॉपी पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय भेजी जाएगी। इससे पहले सजा के ऊपर दोनों पक्ष ने जोरदार बहस की।अभियोजन पक्ष ने जहां फांसी की सजा देने की मांग की थी वहीं बचाव पक्ष ने तर्क दिया सोची समझी रणनीति के तहत गोली नहीं चलाई गई थी बल्कि तत्कालीक कारण से गोलियां चल गईं थीं। ऐसी स्थिति में 302 का मामला नहीं बनता है लेकिन अदालत ने बचाव पक्ष की दलील को स्वीकार नहीं किया।बता दें कि 13 अक्टूबर 2018 को मूल रूप से हिसार निवासी व जिले के तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्णकांत (वर्तमान में अंबाला में कार्यरत) की पत्नी रितु एवं उनके बड़े बेटे ध्रुव सेक्टर-49 स्थित आर्केडिया शॉपिंग काॅम्प्लेक्स में पेंटिंग पर फ्रेम चढ़वाने के लिए पहुंचे थे। काॅम्प्लेक्स से बाहर आते ही दोनों के ऊपर गनमैन (अब बर्खास्त) महिपाल ने गोलियां चला दी थीं। दोनों ने मेदांता अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।सेक्टर-49 स्थित आर्केडिया कॉम्प्लेक्स के सामने 13 अक्टूबर 2018 को महिपाल ने न्यायाधीश की पत्नी रितु एवं बेटे ध्रुव को गोली मारी थी। दोनों ने मेदांता अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। रितु की मृत्यु 13 अक्टूबर को ही देर रात हो गई थी जबकि ध्रुव की मृत्यु 23 अक्टूबर की देर रात हुई थी। मामले में 15 दिसंबर 2018 को पुलिस ने अपनी जांच पूरी की जबकि अदालत में रिपोर्ट 27 दिसंबर 2018 को दाखिल की गई। अदालत ने 9 जनवरी 2019 को चार्ज फ्रेम किया।आरोपित के खिलाफ आइपीसी 302 एवं 201 के साथ ही आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत चार्ज फ्रेम किया गया। आरोपित के खिलाफ कुल 81 गवाह बनाए गए थे। इनमें से 64 लोगों की गवाही कराई गई। तीन न्यायाधीशों ने भी गवाही दी थी। अंतिम गवाही मामले के जांच अधिकारी व सेक्टर-50 थाने के तत्कालीन प्रभारी सुरेंद्र सिंह की हुई थी। महिपाल ने रखा था अपना पक्ष सुनवाई के दौरान 16 दिसंबर 2019 को महिपाल का पक्ष लिखा गया। उसने कहा कि कार में पें¨टग रखने के दौरान उसमें चोट लग गई थी। इससे नाराज ध्रुव ने उसे गालियां देनी शुरू कर दी थीं। फिर कार की चाबी मांगी। मना करने पर दोनों में गुत्थम गुत्था हो गई। उसी दौरान ध्रुव ने रिवाल्वर छीनने का प्रयास किया, जिसकी वजह से फायरिंग हो गई।
कब-कब हुई बहस
अभियोजन पक्ष की ओर से इस साल 7 जनवरी एवं 23 जनवरी को बहस की गई जबकि बचाव पक्ष की ओर से 28 जनवरी एवं तीन फरवरी को बहस की गई। पिछले साल 21 सितंबर तक मामले की सुनवाई जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में चली जबकि 10 अक्टूबर से सुनवाई अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में चली। एसआइटी ने निभाई बेहतर भूमिका गुरुग्राम के तत्कालीन पुलिस आयुक्त केके राव ने वारदात के कुछ ही देर बाद एसआइटी का गठन कर दिया था। अगले दिन इसे फिर से गठित किया गया था।
यह भी जानें
डाइंग डिक्लेरेशन (मृत्यु से पहले बयान) मृत्यु से पहले न्यायाधीश कृष्णकांत को उनकी पत्नी रितु ने बताया था कि वे लोग पेंटिंग का फ्रेम चढ़वाने पहुंचे थे। कुछ ही देर में फ्रेम चढ़वाकर वे पहुंचे। कार में रखने के दौरान पें¨टग में चोट लग गई। इस पर ध्रुव ने महिपाल से चाबी मांगी। इतनी सी बात पर वह तैश में आ गया और गोलियां चला दीं।
महिपाल के खिलाफ पांच मुख्य साक्ष्य
- कुल 81 गवाहों में से दो चश्मदीद गवाह थे
- सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में गोली चलाते दिखा
- रिवाल्वर के हैंडल पर भी अंगुलियों के निशान थे
- घटना से संबंधित कई वीडियो वायरल किए गए थे
- कार की स्टयेरिंग पर भी उसके हाथ का दाग लगा था
- उसके यूनिफॉर्म में लगा खून ध्रुव के खून से मैच हुआ था
- उसने ही फोन करके न्यायाधीश कृष्णकांत को गोली मारने की जानकारी दी थी (इनकेअलावा भी कई साक्ष्य सामने रखे गए) अनुराग हुड्डा एवं विशाल गुप्ता ने निभाई भूमिका मामले का जल्द से जल्द निबटारा हो, इसके लिए सरकारी अधिवक्ता के रूप में जिला उप न्यायवादी अनुराग हुड्डा एवं जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता विशाल गुप्ता ने विशेष भूमिका निभाई।मामला जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत से अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश में ट्रांसफर कर दिया गया था लेकिन सरकारी अधिवक्ता की जिम्मेदारी अनुराग हुड्डा के पास ही रही। वरिष्ठ अधिवक्ता विशाल गुप्ता ने कहा कि घटना ने हर किसी को हिलाकर रख दिया था। रक्षक ही कातिल बन गया। गनमैन सबसे भरोसेमंद होता है। उसने ऐसा काम किया जिसके बारे में कोई सोच ही नहीं सकता। उसे फांसी की सजा मिलनी चाहिए। यही मांग शुक्रवार को सजा के लिए बहस के दौरान की जाएगी। उप जिला न्यायवादी अनुराग हुड्डा ने कहा कि दोषी को फांसी की सजा दिलाने हेतु बहस के दौरान किसी भी स्तर पर कमी नहीं छोड़ी जाएगी।