गोंडा : ढाई वर्ष बीतने के बावजूद विकास कार्यों में गड़बड़ियों के शिकायत की जांच न करने के मामले में जिला समाज कल्याण अधिकारी फंस गए हैं। डीएम डॉ. नितिन बंसल ने संबंधित अधिकारी से तीन दिवस में स्पष्टीकरण तलब करते हुए विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी है। ये तेजी हाईकोर्ट की सख्ती के बाद दिखाई गई है।मामला हलधरमऊ ब्लॉक की ग्राम पंचायत पिपरीरावत का है। यहां के निवासी विजय प्रताप सिंह ने विकास कार्यों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मामले की शिकायत वर्ष 2017 में डीएम से की थी। इसपर जांच की जिम्मेदारी जिला समाज कल्याण अधिकारी को सौंपी गई थी। कई बार पत्राचार के बाद ग्राम पंचायत ने वर्ष 2017-18 में ग्रामनिधि से कराए गए छह कार्यों की पत्रावली जांच अधिकारी को उपलब्ध कराई गई। जांच के अधिकारी के मुताबिक 14 फरवरी 2018 से सात नवंबर 2019 के मध्य ग्राम पंचायत ने ग्रामनिधि खाते से 36.17 लाख रुपये आहरित किए गए हैं। जबकि अभिलेख सिर्फ 5.97 लाख रुपये के दिए गए। पूरे अभिलेख न मिलने के कारण मामले की जांच नहीं हो सकी। इसको लेकर शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। न्यायमूर्ति रजनीश कुमार ने नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही दो सप्ताह में शपथ पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
सचिव पर मेहरबान अफसर
- गांव के विकास कार्यों से संबंधित अभिलेख सचिव के पास होते हैं। यहां जिम्मेदार ढाई वर्ष में सचिव से न तो अभिलेख दिखा सके और न ही कोई कार्रवाई की। अब सवाल ये है कि जब जांच के लिए अभिलेख ही नहीं मिले तो, जांच कैसे होगी। फिलहाल, अब अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए दूसरे के सिर पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ा जा रहा है