रुकुंदीनपुर झील की जमीन पर लहलहा रही फसलें

जागरण सरोकार- जल संरक्षण नंबर गेम 357 बीघे में है रुकुंदीनपुर झील अधिकांश भाग में कब्जे 15 किमी दूर है महोली तहसील मुख्यालय से                                                                                                                                       सीतापुर : 28.567 हेक्टेयर वाली रुकुंदीनपुर झील का स्वरूप अब बदल चुका है। यहां करीब डेढ़-दो बीघा पानी क्षेत्र को छोड़कर अन्य हिस्से में कब्जेदारों ने खेती शुरू कर दी है। प्रधान प्रतिनिधि सत्यदेव मिश्र के मुताबिक, झील की सीमा आसपास की कई ग्राम सभाओं से जुड़ी है। झील के पूरब में रुकुंदीनपुर गांव है। पश्चिम में अमरइया, उत्तर में भिटिया और दक्षिण में महम्मदापुर- प्रथम और तालगांव गांव हैं। रुकुंदीनपुर के पास झील पर कब्जेदारी है। लोगों ने खेत बनाकर उसमें गेहूं, सरसों और गन्ना बो रखा है। झील से कब्जा हटाने के लिए कई बार तहसील में प्रार्थना पत्र दिया गया पर, सुनवाई नहीं हुई। देखरेख के अभाव में झील का पानी कम होता गया। अब झील पर सारस तो दिखते हैं पर, सायबेरियन पक्षी नहीं। गुजरे जमाने की बात.


भूड़ इलाके की रुकुंदीपुर गांव की झील एक समय खूबसूरती से आकर्षण का केंद्र थी। देशी-विदेश मेहमान पक्षियों की मौजूदगी और उनकी चहचहाहट का मनोहरी ²श्य बहुत ही खूबसूरत हुआ करता था। वनरक्षक संतराम ने बताया करीब एक दशक पहले तत्कालीन डीएम ने झील का सुंदरीकरण कराया था। झील के किनारे पौधा रोपण हुआ था। बर्ड वॉचिग के लिए तीन आइलैंड और एक टॉवर बना था। आठ-दस साल पहले नवंबर में यहां बड़ी तादाद में विदेशी पक्षी देखे जाते थे। ये फरवरी महीने तक झील पर रहते थे और प्रजनन करने के बाद बच्चों सहित लौट जाते थे। कोट


रुकुंदीनपुर झील ग्राम समाज की है। वन विभाग का इससे कोई संबंध नहीं है। झील के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।


- राममूर्ति सिंह, वन क्षेत्राधिकारी


यदि झील पर कब्जे हैं तो कब्जेदारों को बेदखल करेंगे और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई भी करेंगे। यही नहीं, लेखपालों को लगाकर झील की पैमाइश भी कराएंगे।


- शशिभूषण राय, एसडीएम


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